Friday, April 1, 2011

हँसना चाहा, हँसने ना दिया

हँसना चाहा
हँसने ना दिया
रोना चाहा,
रोने ना दिया
दुनिया ने हमें
जीने ना दिया
कोई कदम हमारा
सही ना पडा
संभलना चाहा
संभल ना सका
हर पासा उलटा पडा
निरंतर भटकता रहा
रास्ता अब तक
ना मिला
फिर भी चलता रहता
उम्मीद में जीता रहता
लडखडाते
सफ़र पूरा करने की
कोशिश करता रहता
31-03-03
564—234-03-11

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