Tuesday, April 5, 2011

खाट खडी कर दूंगा

वो मुझ 
से कहने लगा
खाट खडी कर दूंगा
मैंने जवाब दिया
खाट बैठी कहाँ है
जो खडी करोगे
वो बोला बैठी हो
ना बैठी हो
तुम्हारी तो खडी करूंगा
मैंने दिमाग पर 
जोर डाला
क्या मुझ को खाट
समझ रहा है ?
आँखों से छ फुट का
आदमी नहीं दिख रहा है
मैं बोला
आँखों की जांच करवाओ
आदमी को
खाट समझ रहे हो
तुम क्यों
तकलीफ करते हो
लो मैं ही
खाट खडी कर देता हूँ
यह कह कर
कमरे में पडी खाट को
खडा कर दिया
गुस्से से उसका
चेहरा लाल हो गया
कहने लगा 
मैं भी क्या करूँ
ये कहावत का कमाल है
कहता कुछ हूँ
समझा कुछ और जाता है
निरंतर ऐसा ही होता है
04-04-2011
604-37 -04-11

No comments: