Friday, April 1, 2011

हँसते,हँसते ,धूल में मिलने दे



पहाड़ सी
हसरतें थी मेरी
धीरे धीरे टूटी गयीं
छोटे छोटे टुकड़ों में
ख़त्म होती गयीं
अब
बोझ दिल में बचा
नहीं कोई
दुआ रब से करता हूँ
जाते,
जाते तो सुकून से
रहने दे
हँसते हँसते
धूल में मिलने दे
01-04--11
573—06-04-11

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