वो समझते हाल दिल का हमसे छुपा
क्या उनके दिल में , हमें सब पता
उनका नहीं दिखना, नज़रें चुराना
निरंतर फ़साना दिल का कहता
डरते हैं , गर दिख जायेंगे कही
चेहरा हाल – ऐ - दिल बयाँ करेगा
हकीकत से ज़माना रूबरू होगा
सवालों का जवाब देना पडेगा
कैसे बताएँगे , चाहते हैं हमको
ज़माने के डर से खामोश रहते
किसी तरह छुप छुप कर जीते
अकेले में अश्क बहाते रहते
06-04-2011
616-49 -04-11
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