Friday, April 1, 2011

कविता पूरा होने की,आशा में जी रही हूँ


कविता बेचैन थी
ना सो पा रही थी
ना जाग पा रही थी
फ़ोन की घंटी बजी
कविता ने फ़ोन उठाया,
आवाज़ आयी
कविताजी आप
कविता लिख रही हैं
या पढ़ रही हैं
कविता ने उत्तर दिया
कवि की प्रतीक्षा कर
रही हूँ
बिना कवि,कविता अधूरी
कविता बिना,कवि अधूरा
कवि मन भावुक होता
खुद को कविता में
उतारता
कवि के शब्दों से
अधूरे को पूरा करने की
कोशिश कर रही हूँ
निरंतर सृजन में लगी हूँ
कविता पूरा होने की
आशा में जी रही हूँ
01-04--11
569—02-04-11

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