यूँ ही नहीं मुस्कराता
कोई किसी को देख कर
कुछ तो देखा होगा
निरंतर मुझ में तुमने
सूरत नहीं तो दिल में
झांका होगा तुमने
दिल से दिल मिलाया होगा
मोहब्बत से लबालब उसे
पाया होगा
उसने ही तुम्हें लुभाया होगा
जी मुस्कराने का किया होगा
मुस्करा कर
पैगाम दिल का दिया होगा
03-04--11
591—24 -04-11
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