अब क्यों पहचानेगा
कोई मुझको
सब चढ़ गए सफलता की
सीढ़ियों पर सीढियां
सहारा ले कर पहुँच गए
इतनी ऊंचाई पर
दिखता नहीं कोई उन्हें
वहां से
मैं जहां था वहीँ खडा हूँ
अब भी हाथ वैसे ही
बढाता हूँ
जिसे लेना है जी भर कर
ले ले सहारा मेरा
निरंतर
सफलता की सीढियां
चढ़ता जा
आकाश कीऊचाइयों को
छूता जा
याद करे तो फितरत
उसकी
नहीं करे तो इच्छा
उसकी
बस इतना सा याद
रख ले
उतरेगा जब भी नीचे
कोई ना पहचानेगा उसे
रोयेगा तो भी
कंधे पर हाथ नहीं
रखेगा
कोई उसके
06-01-2012
15-15-01-12
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