निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे....
(सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
वाह बहुत खूबसूरती से आपने अपने शहर की आंधी को भी लिख डाला ....बहुत खूब ....हवा के झोंकों से दुपट्टे लहरा कर चेहरों को बार बार ढकते नाज़ुक हाथ उन्हें हटाते हटाते थक जाते
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वाह बहुत खूबसूरती से आपने अपने शहर की आंधी को भी लिख डाला ....बहुत खूब ....हवा के झोंकों से
दुपट्टे लहरा कर
चेहरों को बार बार ढकते
नाज़ुक हाथ उन्हें
हटाते हटाते थक जाते
मेरे शहर में जब आँधी आती,सशक्त रचना बेहद प्रभावशाली।
बहुत बढ़िया.... एक से अधिक अर्थ समाहित हैं कविता में... क्या बात है !
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