Tuesday, April 5, 2011

आज फिर एक लावारिस लाश आयी


उसे सूचना मिली
आज फिर एक
लावारिस लाश आयी
चेहरे पर खुशी आयी
उसका दाह संस्कार
करना है
मिट्टी में मिलाना है
तीन सौ रूपये मिलेंगे
दो दिन आराम से
कटेंगे
निरंतर सोचता लोग
लावारिस नहीं मरते
तो पेट कैसे पालता
किसी का मरना
किसी का जीना होता
हर चीज़ के पीछे
परमात्मा का मंतव्य
होता
केवल परमात्मा
जानता
05-04-2011
602-35 -04-11
  

1 comment:

Dr (Miss) Sharad Singh said...

संवेदनाओं से भरी मार्मिक रचना ....