उसे सूचना मिली
आज फिर एक लावारिस लाश आयी
चेहरे पर खुशी आयी
उसका दाह संस्कार
करना है
मिट्टी में मिलाना है
तीन सौ रूपये मिलेंगे
दो दिन आराम से
कटेंगे
निरंतर सोचता लोग
लावारिस नहीं मरते
तो पेट कैसे पालता
किसी का मरना
किसी का जीना होता
हर चीज़ के पीछे
परमात्मा का मंतव्य
होता
केवल परमात्मा
जानता
05-04-2011
602-35 -04-11
1 comment:
संवेदनाओं से भरी मार्मिक रचना ....
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