Saturday, August 27, 2011

हास्य कविता-हँसमुखजी ने पत्नी को एक गुड्डा भेंट किया (व्यंग्य)

विवाह की
पंचासवी वर्ष गाँठ पर
हँसमुखजी ने पत्नी को
एक गुड्डा भेंट किया
छ बच्चों से मन नहीं भरा
पत्नी ने बिफर कर
सवाल दाग दिया
हँसमुखजी ने जवाब दिया
अरे भागवान
ये गुड्डा हर बात सुनेगा
क्रोध नहीं करेगा
ना ही अपशब्द कहेगा
कुछ नहीं मांगेगा
तुम्हारे प्यार को नाटक
नहीं कहेगा
जो बच्चों ने नहीं दिया
ये गुड्डा तुम्हें देगा
आंसू तो नहीं पौंछेगा
पर रुलाएगा भी नहीं
सम्मान तो
कर नहीं सकता
पर निरंतर चुप रह कर
बुढापे में
हम दोनों के मन की
व्यथा को कम करेगा
27-08-2011
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