Wednesday, August 10, 2011

कभी अर्श पर था अब फर्श पर हूँ

पहले लोगो की
नज़रों का तारा था
अब नज़रों से दूर हूँ

लोग निरंतर
मुझे तलाशते थे
अब मैं तलाशता हूँ
जुबान पे उनकी
मेरा नाम भी नहीं आता
सब को पहचानता हूँ
मुझे कोई नहीं

पहचानता
हालात से मजबूर हूँ
कभी अर्श पर था
अब फर्श पर हूँ

हकीकत के रूबरू हूँ

10-08-2011

1332-54-08-११

(अर्श=आसमान)

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