Wednesday, August 3, 2011

दुःख में रोना छोड़ दो पीर परायी जान लो

दुःख में रोना छोड़ दो
पीर परायी जान लो
उनके दुःख पहचान लो
एक कंधा उन्हें भी दो
पीड़ा उनकी कम करो
खुद भी थोड़ा हँस लो
सुख,दुःख जीवन के रंग
चलते सदा संग संग
निरंतर
रोना उपाय नहीं
सब्र का जवाब नहीं
हिम्मत और सब्र से
काम लो
जीवन सफ़र पर
बढ़ चलो

02-08-2011

1293-15-08-11

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