Saturday, August 20, 2011

हास्य कविता-हँसमुखजी की नारी शक्ती से टक्कर

दो भद्र महिलाएँ
निरंतर तीन घंटे से 
आपस में
गुफ्तगू कर रही थी
हँसमुखजी
की बेचैनी बढ़ती जा रही थी
तीन घंटे से
क्या बात कर रही हैं ?
मन में खलबली मच रही थी 
उनसे रहा ना गया
महिलाओं से पूछ लिया
महिलाएं क्रोध से उफन पडी
बातचीत में दखलंदाजी से
बुरी तरह बिफर गयीं
हँसमुख जी
उनके चंडी रूप से घबरा गए
फ़ौरन दौड़ गए
आधे घंटे में सारे शहर में
खबर हो गयी
नारी की बातों में पुरुष की
दखलन्दाजी नारी शक्ती को
बर्दाश्त नहीं हुयी
सैकड़ों महिलाएं घर से
निकल पडी
जुलूस में हँसमुखजी के
घर चल पडीं
हँसमुखजी हाय हाय के
नारे लगाने लगी
घर पहुँच हँसमुखजी  को 
खरी  खोटी सुनायी
महिलाओं को
कम मत आंका करो
नारियों की खासियत पर
सवाल उठाते हो
हम बिंदी से लेकर साड़ी  तक
पूरे दिन बात कर सकते हैं
बिना विषय के भी
बतिया सकते हैं 
अपनी भडास निकाल कर
हँसमुखजी से माफी
मंगवायी गयी
आइन्दा महिलाओं की
बातों में नहीं पड़ने की
कसम खिलवायी गयी
अब अगर महिलाओं को 
बात करते देखते हैं
तो दूर चले जाते हैं
नारी शक्ती को
महत्त्व देने की बातें
यार दोस्तों में
जोर शोर से करते हैं
20-08-2011
1389-111-08-11
(समस्त महिला जगत से क्षमा माँगता हूँ ,
शुद्ध हास्य रचना है, कृपया हकीकत ना समझें ,
अगर समझें तो दिल से ना लगाएँ)

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