Wednesday, August 10, 2011

वो रुमाल मैंने सम्हाल कर रखा है

बरसों

पहले जुदा हुए

अपना रुमाल

मेरे पास भूल गए

वो रुमाल मैंने

सम्हाल कर रखा है

अपने सीने से लगा

रखा है

जब भी अकेला

होता हूँ

उसे हाथ में लेता हूँ

उसकी महक को

सूंघता हूँ

वो अब भी वैसे ही

महकता

जहन में यादें ताज़ा

करता

निरंतर उनकी

करीबी का अहसास

होता

किसी तोहफे से

ज्यादा उनका रुमाल

मेरे अकेलेपन को

कम करता

ग़मों को भूलने में

मदद करता

10-08-2011

1329-51-08-11

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