इंतज़ार तुम्हारा
ज़िन्दगी भर किया
रातों को जागता रहा
निरंतर
अश्क बहाता रहा
इज़हार-ऐ-मोहब्बत का
जवाब ना मिला
मेरे हसरतों का खून
हो गया
अब आखिरी इल्तजा
सुन लो मेरी
मरने के बाद
सुकून के खातिर
दो मुट्ठी मिट्टी मेरी
कब्र पर डाल देना
जो मुझे ना मिल सका
मेरी लाश को दे देना
डाल देना
12-08-2011
1347-69-08-11
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