Thursday, August 4, 2011

मेरा अंतर्मन बोला मुझ से ,क्यों व्यथा बढाते हो ?

मेरा अंतर्मन बोला

मुझ से

क्यों व्यथा बढाते हो ?

अधिक पाने की इच्छा में

अपना चैन गँवाते हो

क्या नहीं दिया ?

परमात्मा ने तुमको

क्यों फिर रोते हो ?

जो मिला

उसमें संतुष्ट रहो

आवश्यकताएँ कम करो

इश्वर का नाम लो

निरंतर धैर्य रखो

कर्म करते चलो

जीना सफल करो

04-08-2011

1301-23-08-11

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