निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे.... (सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
तेरे बारे में
कुछ कहता रहूँ
कुछ ना
कुछ लिखता रहूँ
कोई और
काम मुझे अब नहीं
निरंतर
ज़िक्र तेरा करता रहूँ
तूँ ही मकसद
तूँ ही ज़िन्दगी मेरी
लाख दिल को
समझाऊँ
दिल भी मानता नहीं
अब तूँ ही मंजिल मेरी
कैसे भी मिल जाओ
अब यही हसरत मेरी
03-08-2011
1297-19-08-11
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