Tuesday, August 2, 2011

लिखते हुए आज एक साल पूरा हो गया

लिखते हुए आज

एक साल पूरा हो गया

एक नए अहसास से

वाकिफ हो गया

मेरी दुनिया के बाद

और भी कोई दुनिया है

मुझे पता ना था

कलम से

प्यार बचपन से था

पर शौक से कभी कुछ

लिखा ना था

एक वाकया ऐसा हुआ

परीक्षित से विचारों का

आदान प्रदान हुआ

मुझे लिखने को प्रेरित किया

एक जुनून सवार हो गया

लैपटॉप पर ऊंगलियों का

चलना शुरू हो गया

निरंतर जो देखा,

सहा,और सोचा

लिखने लगा

पूना से उत्तरांचल

तेजपुर से त्रिवेंद्रम तक

देश और विदेश से

लोगों ने होंसला बढाया

जो लिखा उसे सराहा

त्रुटियों का ध्यान दिलाया

लिखना अब आदत हो गया

बहुतों को खुश,बहुतों को

नाराज़ किया

कोई दिन नहीं गुजरता

जब दिल की बात नहीं

करता

बिना सृजन अब कुछ अच्छा

नहीं लगता

निरंतर लिखना मजबूरी

और जीने का मकसद

बन गया

(मेरे प्रेरणा स्त्रोत डा.परीक्षित सिंह,य़ू ,एस, ए को समर्पित)

02-08-2011

1289-11-08-11


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