Wednesday, August 10, 2011

वो बेचैन, मैं सुकून से कैसे रहूँ ?

वो खुश नहीं

मैं कैसे खुश रहूँ ?

वो रोये ,मैं हंसूं

ये मुमकिन नहीं

दिल की डोर से बंधी हैं

वो डूबे मैं तैरूं,

संभव नहीं

वो निरंतर जीवन से

लड़ रही

मैं जीत के गीत

कैसे गाऊँ ?

जान से ज्यादा

चाहता हूँ

वो बेचैन तो

मैं सुकून से कैसे रहूँ ?

10-08-2011

1328-50-08-11

No comments: