निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे.... (सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
नज़रों से दूर कहीं और रहते हैं निरंतर सोचता हूँ कैसे देखूं उनको ? रास्ता सूझता नहीं मन ही मन मिल लेता हूँ दो शब्द लिख देता हूँ बात उन तक पहुंचाता हूँ कभी वो भी कुछ लिख देंगे बात समझ जाएँगे मिलने का तरीका बताएँगे इस उम्मीद से ही खुश हो जाता हूँ उनकी लिखी हर
कविता में उनका पैगाम ढूंढता हूँ
18-08-2011
1378-100-08-11
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