Sunday, August 14, 2011

हास्य कविता-बिरादरी के नंगे घूमने के रिवाज़ का तो ख्याल रखो

हंसमुखजी
एक दस साल के बच्चे को
कई दिनों से खुले आम
नंगा नाहते देखते थे
एक दिन उनसे
रहा नहीं गया
उन्हें क्रोध आ गया
सीधा बच्चे पर उतार दिया
गधे की औलाद हो
शर्म नहीं आती है
खुले आम नंगे नाहते हो
बच्चा शैतान और
हाज़िर जवाब था
उसे हंसमुखजी का
बर्ताव पसंद नहीं आया
उसने नहले पर दहला मारा
ताउजी मुझे पता नहीं था
आप भी हमारे परिवार के हैं
हंसमुखजी क्रोध से उफन गए
उछलते हुए बोले
क्या बकता है?
बच्चे ने दहले पर गुलाम मारा
कम से कम नस्ल का तो
ख्याल करो
बकता नहीं,रेंकता कहो
कपडे उतार कर आप भी नाहलो
बिरादरी के नंगे घूमने के
रिवाज़ का तो ख्याल रखो
14-08-2011
1360-82-08-11

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