निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे.... (सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
कुछ तो है उनमें
जो किसी और में नहीं
उनके अंदाज़ का कहीं
कोई सानी नहीं
बात हुस्न-ओ-इश्क
की नहीं
ना ही कोई मजबूरी
उनका
जादू ही कुछ ऐसा है
कि दिल मानता नहीं
नाम जहन में आते ही
दिल में कुछ होता है
लाख रोको,रुकता नहीं
निरंतर
उनसे मिलने की
जिद करता है
05-08-2011
1308-30-08-11
Post a Comment
No comments:
Post a Comment