निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे.... (सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
जो लिखता हूँ
तुम भी निरंतर
पढ़ते होगे
हमारी चाहत को
समझ गए होगे
देर किस बात की
मुंह से हाँ कह दो
नहीं तो
हमारी तरह लिख कर
बता दो
इज़हार-ऐ-मोहब्बत
तुम भी कर दो
हम भी समझ
जायेंगे
दिल की आग को
बुझा लेंगे
07-08-2011
1314-36-08-11
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