क्या नहीं करता
मोहब्बत में इंसान
इबादत
खुदा की करता
ज़हन में चेहरा
माशूक का होता
जुदाई में खुदा
याद तो आता
नाम जुबां पर
माशूक का होता
निरंतर
मोहब्बत में इंसान
इबादत
खुदा की करता
ज़हन में चेहरा
माशूक का होता
जुदाई में खुदा
याद तो आता
नाम जुबां पर
माशूक का होता
निरंतर
उसका नाम जपता
कोई मिला दे उससे
कोई मिला दे उससे
मान मुनव्वल करता
उठते,बैठते
ख्यालों ,ख़्वाबों में
राज़ दिल पर
माशूक का होता
मोहब्बत में मर जाता
मोहब्बत में जीता
उठते,बैठते
ख्यालों ,ख़्वाबों में
राज़ दिल पर
माशूक का होता
मोहब्बत में मर जाता
मोहब्बत में जीता
रहता
उम्मीद और इंतज़ार
हर लम्हा रहता
रातों को जागना
उम्मीद और इंतज़ार
हर लम्हा रहता
रातों को जागना
आदत बन जाता
बेचैनी जीने का
ढंग हो जाता
30-08-2011
1418-140-08-11
1418-140-08-11
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