Tuesday, August 30, 2011

क्या नहीं करता मोहब्बत में इंसान

क्या नहीं करता
मोहब्बत में इंसान
इबादत
खुदा की करता 
ज़हन में चेहरा
माशूक का होता
जुदाई में खुदा
याद तो आता
नाम जुबां पर
माशूक का होता
निरंतर
उसका नाम जपता
कोई मिला दे उससे
मान मुनव्वल करता
उठते,बैठते
ख्यालों ,ख़्वाबों में
राज़ दिल पर
माशूक का होता
मोहब्बत में मर जाता
मोहब्बत में जीता
रहता
उम्मीद और इंतज़ार
हर लम्हा रहता
रातों को जागना
आदत बन जाता
बेचैनी जीने का
ढंग हो जाता
30-08-2011
1418-140-08-11

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