Monday, August 1, 2011

उन हसरतों का क्या करूँ ? जिन्हें पूरा ना कर सकूँ

उन निगाहों का क्या करूँ?

जिनमें डूब ना सकूँ

उन होठों का क्या करूँ ?

जिन्हें चूम ना सकूँ

उस सूरत का क्या करूँ ?

जिसे ख़्वाबों में ना देख सकूँ

उन गीतों का क्या करूँ ?

जिन्हें सुना ना सकूँ

निरंतर

दूर से उसे देखता रहूँ

आगोश में लेने के लिए

तड़पता रहूँ

उन हसरतों का क्या करूँ ?

जिन्हें पूरा ना कर सकूँ

01-08-2011

1285-07-08-11

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