Sunday, November 11, 2012

बहुत देख लिया



बहुत देख लिया
अपनों का खार
मुस्कराकर किये
उन्होंने
पीठ पीछे से वार
बहुत देख लिया
दोस्तों से
दोस्ती का सिला
हँसते हँसते
उन्होंने धोखा दिया
बहुत देख लिया
मोहब्बत पर
बेवफायी का राज़
वफ़ा के बाद भी
सहना पडा
बेवफायी का इलज़ाम
बहुत देख लिया
उम्र में छोटों से
ज़िल्लत भरा सलूक
अब डर नहीं लगता
अब बेफिक्र जीता हूँ
जिन बातों का डर था
सब देख देख चुका हूँ
सब सह चुका हूँ
835-19-11-11-2012
धोखा,फरेब,छलावा,ज़िन्दगी,जीवन

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