Saturday, November 3, 2012

कभी कभी मैं भी भावों में बह जाता हूँ



कभी कभी मैं भी
भावों में बह जाता हूँ
मुस्काराहट के साथ कही
हर बात को सच मान लेता हूँ
चेहरे पर चढ़ा चेहरा
नहीं पहचान पाता हूँ
चोट खाता हूँ तो
बौखला कर तय करता हूँ
मुस्काराते चेहरों पर
विश्वास करना छोड़ दूंगा
मीठी बातों के
जाल में नहीं फसूँगा
कुछ दिन निश्चय पर
दृढ रहता हूँ
फिर भावों में बह जाता हूँ
मुस्काराते चेहरों की
बातों में फंस जाता हूँ
मुस्काराहट मेरी कमजोरी
दुनिया को बता देता हूँ
818-02-03-11-2012
भाव,मुस्काराहट,मुस्काराते,जीवन

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