Tuesday, November 6, 2012

कभी पूनम तो कभी अमावस


कभी पूनम तो कभी अमावस
कभी पूनम तो
कभी अमावस
कभी भरपूर उजाला
कभी घनघोर अँधेरा
क्यों ऐसा होता है
लगता है चाँद ने भी
जीवन से ही सीखा है
क्यों नहीं अन्धेरा उजाला
दोनों कम हो जाए
जीवन सदा इकसार
चमकता रहे
ना अमावस हो
ना कभी पूनम हो
ना रोना पड़े
ना हँसना पड़े
बस मुस्काराहट से
काम चलता रहे
इंसान चिंतामुक्त
जीवन जीता रहे
831-15-06-11-2012
जीवन,चिंता,चिंताएं

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