Tuesday, November 6, 2012

दिल ना जाने कितनी बार टूटा है


दिल ना जाने कितनी बार टूटा है
दिल ना जाने
कितनी बार टूटा है
तुम हमसे मोहब्बत का
मतलब पूछ रहे हो
हसरतों की उम्मीद में
रोता रहा है
तुम हमसे मंजिल का
पता पूछ रहे हो
आइना भी अब हमें
पहचानता नहीं
तुम हमारे घर का पता
पूछ रहे हो
तन्हाई अब हमारा घर
कब्रिस्तान हमारी मंजिल
तुम हमसे जीने का
मकसद पूछ रहे हो
827-11-06-11-2012
दिल,मोहब्बत,

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