Wednesday, November 28, 2012

मेरे जाने के बाद



मेरे जाने के बाद भी 
मेरे चाहने 
ना चाहने वालों से 
मिलूंगा ज़रूर
चाहे ख़्वाबों में मिलूँ 
या ख्यालों में आऊँ 
जो भी कहता हूँ 
जो भी लिखता हूँ 
याद दिलाऊंगा ज़रूर 
भले ही बुझ जाए 
मेरी ज़िन्दगी के 
चिराग की रोशनी 
पर मेरे ख्यालों की 
रोशनी ज़हन में 
ज़लाऊंगा ज़रूर 
मेरे ख्याल ही कहते हैं 
मुझसे 
आज मेरी बात मानों 
ना मानों 
चाहे आज पढो ना पढो 
पर बात कहूंगा ज़रूर 
चाहे मेरे जाने के बाद 
ही सही 
एक दिन सोचने पर 
मजबूर करूंगा ज़रूर
871-55-28-11-2012
विचार,ख्याल,सोच 

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