Wednesday, November 28, 2012

कहीं कोई कली मुस्काये



कहीं कोई कली मुस्काये
फूल बन जग को महकाए
कोई ह्रदय हिलोरें ले
मन खुशी से नाचे गाये
कोई  दुःख में आसूं बहाए
रातों को सो ना पाए
भगवन कैसी ये रीत
बनायी तुमने
कोई रोता रहे
कोई हँसता रहे
कोई निरंतर जीना चाहे
कोई मरने की दुआ करे
पल पल जीना भारी हो जाए
सुन लो पुकार मेरी
देना है तो इकसार दे दो 
सुख दुःख बराबर दे दो 
किसी को कम किसी को
अधिक ना रोने दो
874-58-28-11-2012
सुख,दुःख,जीवन

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