कोई उन्हें देख ले
मेरी मोहब्बत को
पहचान ले
निरंतर दिल में
उठ रहे
जलजले को जान ले
मेरा पैगाम उन तक
पहुंचा दे
हाल-ऐ-दिल उन्हें
बता दे
मुझे मंजिल तक
पहुंचा दे
31-08-2011
1424-146-08-11
1424-146-08-11
निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे.... (सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )