Wednesday, August 10, 2011

कहाँ ढूंढूं तुम्हें ?

तुम्हारी

तस्वीर को देखा

मुस्काराता चेहरा

किसी फूल सा दिख

रहा था

मन झील सी आँखों में

डूबने को करने लगा

चेहरे का नूर

दिल पर छाने लगा

तुम्हारा अंदाज़

दिल में उतर गया

मंजिल का पता

मिल गया

दिल का तड़पना

बढ़ गया

कहाँ ढूंढूं तुम्हें ?

ना पता ना ठिकाना

क्या तस्वीर से काम

चलाना पडेगा ?

निरंतर दिल को

तड़पना होगा ?

कब तक इंतज़ार

करना पडेगा ?

तुम्ही बताओ सिवाय

तुम्हारे

कौन सवालों का

जवाब देगा ?

10-08-2011

1330-52-08-11

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