Tuesday, August 30, 2011

हास्य कविता-हँसमुखजी भयंकर सर दर्द से पीड़ित थे

ढूध वाली लाओ
बैरे ने फिर पूछा
गाय के ढूध की या
भैंस के ढूध की
उन्होंने खीजते हुए जवाब दिया
किसी भी ढूध की लाओ,
पर ज़ल्दी लाओ
बैरे ने फिर सवाल दागा,
मीठी या फीकी
हँसमुखजी कुपित हो गए,
क्रोध से उफान पड़े
हैरान मत कर चाय को गोली मार
पानी ही पिला दे
बैरे ने मुस्काराते हुए फिर पूछ लिया
ठंडा या सादा
हँसमुखजी से बर्दाश्त नहीं हुआ
चिल्ला कर बोले मेरी जान मत ले
अब पीछा भी छोड़
बैरे ने जवाब दिया
तुम्हारी जान मैं क्यों लूं ?
तीन चार घंटे बैठे रहो ,
कुछ मंगाते रहो
वैसे ही निकल जायेगी
निरंतर हो रहे सर दर्द से भी
मुक्ती मिल जायेगी
29-08-2011
1415-137-08-11

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