मेरे बचपन की साथी
एकांत का सहारा
सबसे अच्छी सहेली
मेरी गुडिया अब भी
मेरे साथ है
अलमारी में
करीने से रखी
लाल स्कर्ट,
गुलाबी ब्लाऊज
सुनहरी बाल वाली
गुडिया बचपन में
निरंतर मेरे साथ रहती
मेरी भावनाओं का
प्रतीक थी
जैसा माँ मेरे साथ करती
वैसा ही मैं
गुडिया के साथ करती
कभी प्यार करती,
कभी डांट लगाती
मेरी व्यथा,
हंसी,खुशी की बातें
उसे सुनाती
उसके बाल बनाती ,
कपडे धोती,
साथ सुलाती
हर दिनचर्या की
नक़ल का प्रयत्न करती
गुडिया मेरे लिए
खिलोना नहीं
जीवन का अटूट
हिस्सा थी
भावनाएं
व्यक्त करने का
साधन थी
जीवन में ऐसा दूसरा
कोई ना मिला
जो मेरी
हर बात सहता
हर बात सुनता
फिर भी चुप रहता
अब भी जब व्यथित
होती हूँ
किसी अपने को
तलाशती हूँ
मन की बात कहना
चाहती हूँ
गुडिया को अलमारी से
निकाल कर
सारी भड़ास उस पर
निकालती हूँ
वो चुपचाप सब
सुनती है
मन सहज,
क्रोध और व्यथा
कम हो जाती है
मेरी हिम्मत
फिर लौटती है
स्वयं को
व्यस्थित और शांत
पाती हूँ
08-08-2011
1318-40-08-11
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