Tuesday, August 16, 2011

हसरतें दिल में दबा कर रखता हूँ

कभी

मैं भी चहकता था

खुल कर बहकता था

निरंतर पंछी सा

उड़ता था

अब कायदे के

पिंजरे में बंद हूँ

कम बोलता हूँ

खामोशी से सहता हूँ

हसरतें दिल में

दबा कर रखता हूँ

लाचारी से देखता हूँ

यादों के सहारे

जीता हूँ

16-08-2011

1367-89-08-11

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