निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे.... (सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
कभी
मैं भी चहकता था
खुल कर बहकता था
निरंतर पंछी सा
उड़ता था
अब कायदे के
पिंजरे में बंद हूँ
कम बोलता हूँ
खामोशी से सहता हूँ
हसरतें दिल में
दबा कर रखता हूँ
लाचारी से देखता हूँ
यादों के सहारे
जीता हूँ
16-08-2011
1367-89-08-11
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