निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे.... (सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
बिन बुलाए
चले आते हो तुम
ख़्वाबों में ज़लज़ला
मचाते हो तुम
एक सुखद अहसास
दिलाते हो तुम
बार बार आमंत्रण
देते हो तुम
निरंतर मनुहार
करते हो तुम
हमें मजबूर करते
हो तुम
अब तुम्ही बताओ
कैसे ठुकराएँ हम ?
04-08-2011
1300-22-08-11
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