वो खुश नहीं
मैं कैसे खुश रहूँ ?
वो रोये ,मैं हंसूं
ये मुमकिन नहीं
दिल की डोर से बंधी हैं
वो डूबे मैं तैरूं,
संभव नहीं
वो निरंतर जीवन से
लड़ रही
मैं जीत के गीत
कैसे गाऊँ ?
जान से ज्यादा
चाहता हूँ
वो बेचैन तो
मैं सुकून से कैसे रहूँ ?
10-08-2011
1328-50-08-11
No comments:
Post a Comment