नामकरण का इतिहास
बड़ा निराला था
गाँव के लोगों ने उनके
पर दादा की हर बात पर
जोरदार ठहाका लगाने की
आदत के कारण
उन्हें ठहाका लाल कहना
शुरू किया था
उनके दादा का नाम
परदादा ने
ठहाका लगाते लगाते
हंसोड़ रख दिया था
दादा पीछे क्यों रहते
हँसमुखजी के
पिता का नाम
हँसी राम रख दिया
और तो और
हँसमुखजी की माँ का नाम
शादी के बाद बदल कर
खिसयानी देवी कर दिया
हँसी राम जी ने
बेटे का नाम हँसमुख
बेटी का नाम मुस्कराहट
रख दिया
हँसमुखजी कहाँ कम पड़ते
परम्परा निभाते हुए
उन्होंने भी अपने
बेटे का नाम
वक़्त के हिसाब से
वक़्त के हिसाब से
पश्चिमी संस्कृति से
प्रभावित हो कर
लाफ्टर कुमार रख दिया
घर में उसे
लाफू के नाम से पुकारा जाता
उसकी पत्नी का नाम
सास ने अपने साथ हुए
अत्याचार का
बदला लेते हुए
खिलखिलाहट रख दिया
बिटिया परिवार की दिखे
इसलिए उसका नाम
इस्माइल रखा गया
अब चिंता सता रही है
पोते पोती का नाम
क्या रखा जाए ?
पोते का नाम हास्य
बेटी का मज़ाक रखा जाए
तो कैसा रहेगा ?
इस पर परिवार में
निरंतर चर्चा जारी है
05-08-2011
1304-26-08-11
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