पहले लोगो की
नज़रों का तारा था
अब नज़रों से दूर हूँ
लोग निरंतर
मुझे तलाशते थे
अब मैं तलाशता हूँ
जुबान पे उनकी
मेरा नाम भी नहीं आता
सब को पहचानता हूँ
मुझे कोई नहीं
पहचानता
हालात से मजबूर हूँ
कभी अर्श पर था
अब फर्श पर हूँ
हकीकत के रूबरू हूँ
10-08-2011
1332-54-08-११
(अर्श=आसमान)
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