निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे.... (सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
जी चाहता
फिर से बच्चा
बन जाऊं
छल कपट से
दूर हो जाऊं
अहम् ,अहंकार
दूर भगाऊँ
निरंतर
निश्छल जीऊँ
परमात्मा के
करीब
पहुँच जाऊं
जीवन की
क्लिष्ट्ताओं से
बच जाऊं
11-08-2011
1334-56-08-11
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