निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे.... (सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
सूरत अपनी
देखते थे
जिस शीशे में वो
उस शीशे को रोज़
गौर से देखता हूँ मैं
अक्स गर छुपा हो
उनका कहीं उसमें
ढूंढता हूँ मैं
उसे देख कर ही
सुकून मिल जाएगा
ख्याल जहन में
रखता हूँ मैं
निरंतर उम्मीद में
जीता हूँ मैं
12-08-2011
1348-70-08-11
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