बम की अफवाह से
सन्नाटा छा गया
हर मुसकाराता चेहरा
ज़र्द हो गया
दहशत में घबरा गया
जहन का शोर बढ़ गया
अब क्या होगा ?
जहन का शोर बढ़ गया
अब क्या होगा ?
कौन शिकार होगा ?
कौन बचेगा ?
सवालों में उलझ गया
मैं बच जाऊं
मुझे कुछ ना हो
परमात्मा से प्रार्थना में
डूब गया
निरंतर साथ
जीने मरने की कसमें
खाने वाले के
चेहरे पर चढ़ा चेहरा
नज़र आ गया
25-08-2011
1392-114-08-11
25-08-2011
1392-114-08-11
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