ज़रुरत नहीं
आंसू ही बहुत हैं
प्यास
आंसू ही बहुत हैं
प्यास
बुझाने के लिए
किसी और जनाजे में
शामिल होने की
ज़रुरत नहीं
खुद के गम ही
बहुत हैं
रोने के लिए
दिल निरंतर
इतनी बार टूटा
हसरतें नहीं बची
फिर दिल
लगाने के लिए
अब यादें ही काफी है
जीने के लिए
19-08-2011
1381-103-08-11
1381-103-08-11
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