निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे.... (सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
निगाह-ऐ-मोहब्बत
से उन्हें देखा
शरमा के उन्होंने मुंह
फिरा लिया
बिना कहे बहुत कुछ
कह दिया
मोहब्बत की आग को
सुलगा दिया
ख़्वाबों,ख्यालों को
उनकी
सूरत से भर दिया
निरंतर
इंतज़ार का बहाना
जीने का मकसद
दे दिया
03-08-2011
1296-18-08-11
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