निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे.... (सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
मुझे खुशी इस बात की दिल-ओ-जान से चाहती हो तुम फ़िक्र इस बात की निरंतर मेरी फ़िक्र करती हो तुम मेरा काम अपने हाथ में लेती हो तुम मेरी फ़िक्र बढाती हो तुम
17-08-2011
1374-96-08-11
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