Wednesday, August 3, 2011

कुछ कहता रहूँ कुछ ना कुछ लिखता रहूँ

तेरे बारे में

कुछ कहता रहूँ

कुछ ना

कुछ लिखता रहूँ

कोई और

काम मुझे अब नहीं

निरंतर

ज़िक्र तेरा करता रहूँ

तूँ ही मकसद

तूँ ही ज़िन्दगी मेरी

लाख दिल को

समझाऊँ

दिल भी मानता नहीं

अब तूँ ही मंजिल मेरी

कैसे भी मिल जाओ

अब यही हसरत मेरी

03-08-2011

1297-19-08-11

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