कुछ कहता रहूँ
कुछ ना
कुछ लिखता रहूँ
कोई और
काम मुझे अब नहीं
निरंतर
ज़िक्र तेरा करता रहूँ
तूँ ही मकसद
तूँ ही ज़िन्दगी मेरी
लाख दिल को
समझाऊँ
दिल भी मानता नहीं
अब तूँ ही मंजिल मेरी
कैसे भी मिल जाओ
अब यही हसरत मेरी
03-08-2011
1297-19-08-11
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