व्यथा में डूबा हुआ
आँखों से आंसू
रोक नहीं पा रहा
परमात्मा से पूँछ रहा था
इंद्र किस जुर्म की
सज़ा दे रहा
धरती को सूखा रख रहा
पानी की एक बूँद
नहीं बरसा रहा
हर चेहरे पर
चिंता की लकीरें
हर पेट भूख के
डर से घबरा रहा
निरंतर
असमंसज में पडा हुआ
मंदिर से मस्जिद तक
दुआ कर रहा
आशा और विश्वाश
की परीक्षा ले रहा
जीने के लिए झूझ रहा
13-08-2011
1354-76-08-11
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