निरंतर कुछ सोचता रहे,कुछ करता रहे,कलम के जरिए बात अपने कहता रहे.... (सर्वाधिकार सुरक्षित) ,किसी की भावनाओं को ठेस पहुचाने का कोई प्रयोजन नहीं है,फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे तो क्षमा प्रार्थी हूँ )
अब तो
समझ गए होगे
हम तुम्हें चाहते हैं
तुम्हारे नाम से
चेहरे के
रंग बदल जाते हैं
मुंह से कहते हुए
डरते हैं
तुम्हारी ना से
घबराते हैं
यूँ लिख कर
मोहब्बत का
इज़हार करते हैं
किसी ना किसी
बहाने से
निरंतर याद
करते हैं
07-08-2011
1313-35-08-11
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